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छत्रपति शिवाजी महाराज जयन्ति विशेष – शिवाजी महाराज पर कुछ रोचक ऐतिहासिक तथ्य।

19 फरवरी को देश छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाने जा रहा है, तो हमने भी शिवाजी महाराज पर कुछ चुनिंदा विचार व जानकारी आपके लिए संग्रहित की है। ऐसी जानकारी जो आपको अवश्य जाननी चाहिए। छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे महानायक रहे हैं। महाराणा प्रताप व शिवाजी राष्ट्रीय नायक थें। आइए उनके जन्म दिन पर कुछ रोचक जानकारी के साथ कुछ केलिग्राफी इमेज आपके लिए लेकर आये है। इन इमेज को आप शेयर करें व ज्यादा से ज्यादा लोगों तक भेजे।
Hindi Calligraphy Shivaji Shivaji Maharaj 2020

शिवाजी महाराज
शिवाजी महाराज की जयन्ति पर जाने कुछ ऐतिहासिक तथ्य —
देश में गुरिल्ला युद्ध की शुरूआत छत्रपति शिवाजी महाराज के काल में शुरू हुई। शिवाजी युग में रचित ग्रंथ शिव सूत्र में उस काल के गुरिल्ला युद्ध का उल्लेख मिलता है। गुरिल्ला युद्ध उस दौर की आवश्यकता भी थी।

Chatrapati Shivaji Maharaj
शिवाजी महाराज ने मुगल सम्राट औरंगजेब के आगरा के दरबार में जब 9 मई 1666 को अपने पुत्र संभाजी के साथ पहुंचे थे तब उन्हें मुगल सम्राट पर भरोसा किया था। उस वक़्त उनके साथ हजारों मराठा सैनिक भी थें।
Chatrapati Shivaji Maharaj Calligraphy

शिवाजी महाराज
औरंगजेब ने उनके साथ विश्वासघात किया व दरबार में सम्मान नहीं दिया। भरे दरबार में शिवाजी ने मुगल बादशाह को धोखेबाज कहा था तब उन्हें, उनके पुत्र शंभाजी के साथ बंदी बनाया गया। अगस्त माह 1666 में शिवाजी महाराज फलों की टोकरी में बैठकर वहाँ से फरार हो गए थे।
shivaji maharaj calligraphy

Shiv Jaynti Shivaji maharaj
छत्रपति शिवाजी महाराज को शिवाजी महाराज, महानायक, शिव व हिन्दू ह्रदय सम्राट सहित कई उपाधियों से पुकारा जाता है या जाना जाता हैं। कहते हैं कि उन्हें महाराज बनाने में उनके गुरु रामदासजी का महतवपूर्ण योगदान है। शिवाजी महाराज के गुरु महान संत थे जिन्होंने 1100 से ज्यादा मठ व अखाड़े स्थापित किये थे, वे हनुमानजी के परम भक्त थे। शिवाजी ने अपने गुरु की प्रेरणा से कई महत्वपूर्ण कार्य किये।
शिवाजी महाराज जयन्ति पर नमन —

Shiv Jaynti Shivaji maharaj
शिवाजी युग या मराठा युग में किलों की महत्वता अधिक थी। किले उनके साम्राज्य व्यवस्था के लिए विशेष स्थान रखते थे। शिवाजी ने कई दुर्ग किलों पर विजय प्राप्त की थी। एक महत्वपूर्ण दुर्ग सिंहगढ़ भी था जिस पर विजय प्राप्त करने केलिए उन्होंने तान्हाजी को भेजा था। इस दुर्ग को जीतने के बाद तान्हाजी भी वीरगति को प्राप्त हुए थे। तब शिवाजी ने कहा था कि हमने गढ़ तो जीत लिया लेकिन सिंह चला गया। तान्हाजी पर ही कुछ समय पूर्व फ़िल्म बनी थी जिसमे अजय देवगन ने मुख्य भूमिका निभाई।
छत्रपति शिवाजी महाराज केलिग्राफी डिज़ाइन —

Shiv Jaynti Shivaji maharaj
शिवाजी महाराज के राज्य की सीमा नाशिक, पूना, से उत्तर में बागलना तक थी। इस सीमा में सतारा व कोल्हापुर भी आते थे। बाद में पच्छिमी कर्नाटक भी सम्मिलत हुआ। शिवाजी के शासन स्वराज राज्य की सीमा काफी फैली हुई थी।

शिव जयन्ति विशेष
शिवाजी से युद्ध में औरंगजेब को मुंह की खानी पड़ी थीं व मैदान छोड़कर भागना पड़ा था। बाद में औरंगजेब ने अपने सेनापति मिर्ज़ा राजा जयसिंह के नेतृत्व में एक लाख सैनिकों की फौज भेजी।
शिव जयन्ति 2020 —

Shivaji Maharaj
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होली 2020 – इस बार हम कैसे मनाएं होली? क्या है इको फ्रेंडली होली?

होली 2020 – इस बार कैसे मनाएं होली? क्या है इको फ्रेंडली होली? इस बार होली केत्यौहार में कोरोना वायरस का भय भी सता रहा है व इको फ्रेंडली होली मनाने की सीख भी लोग दे रहे हैं। आखिर त्यौहार पर इस प्रकार की बातों के क्या मायने है। केलिग्राफी के इस कॉलम में कुछ उम्दा डिज़ाइन के साथ हम कुछ गम्भीर मुद्दों पर भी अपनी राय रख रहे हैं, उम्मीद है यह पोस्ट आपके लिए महत्वपूर्ण होगी।

Happy Holi 2020-2021
कैसे मनाएं हम होली —
होली जलाने के लिए लकड़ी का इस्तेमाल करें व गोबर के उपलों का इस्तेमाल करें। होली जलाने के लिए लकड़ी का इस्तेमाल जरूर करें लेकिन सिर्फ प्रतिकात्मक रूप में हो क्योंकि अब पहले की भाँति वन रहे नहीं। अब प्रकृति की सुरक्षा भी हमारा कर्तव्य है, इसलिए होली का त्यौहार अवश्य मनाएं, खुशियां बांटे लेकिन कुछ इस तरह से कि हम होली भी जलावे और प्रकृति व वनों के प्रति हम हमारे उत्तरदायित्व को भी निभा सकें। बेवजह लकड़ियों को भारी तादात में जलाकर होली जलाने की बजाय प्रतिकात्मक रूप से जलावे। हम इस हेतु ज्यादा मात्रा में उपलों को काम में ले सकते हैं। पूजा-पाठ, ढोल नगाड़ो व नाच गानों के साथ होली का त्यौहार जरूर मनावे यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है।

Happy Holi 2020-2021
क्या है इको फ्रेंडली होली –
वैसे तो इको फ्रेंडली होली का चलन कुछ वर्षों से लोग करते हैं। कुछ लोग इस इको फ्रेंडली होली का विरोध भी करते रहे हैं लेकिन वर्ष 2020 की होली हमें इको फ्रेंडली ही मनानी चाहिए क्योंकि चीन से आने वाले कोनोरा वायरस के कारण देश में ड़र की स्थिति है। इसलिए इस बार हम होली के रंगों को, विशेषकर विदेशी रंगों से दूर रहे व अपने बच्चों को भी दूर रखें तो बहुत बेहतर है।

Happy Holi 2020-2021
वैसे हम देश में निर्मित गुलाल व फूलों की पंखुड़ियों से भी होली को बेहतर तरिके से मना सकते हैं। खुशियां मनाने की वजह हमारे पास बहुत मौजूद है, इन खुशियों को हम किस रूप में मनावे यह हम पर निर्भर करता है। वैसे इको फ्रेंडली होली हमें अवश्य मनानी चाहिए। आजकाल इको फ्रेंडली कलर भी लोग बनाते हैं, उनका इस्तेमाल भी किया जा सकता है।

Happy Holi 2020-2021
आनंद व प्रकृति से प्रेम का पर्व होली –
होली सिर्फ होली जलाने व रंग लगाने का त्यौहार नहीं है बल्कि होली प्रेम का प्रतिक है। बुराई को जलाने व प्रेम को फैलाने का पर्व है होली। यह पर्व प्रकृति के बदलाव का भी प्रतिक है जिसका स्वागत हम आनन्द व उल्लास के साथ करते हैं। होली को वसंतोत्सव भी कहा जाता है। आप होली के दिनों में थोड़े प्राकृतिक वातावरण में घूमेंगे तो आप एक अनोखे आनंद की अनुभूति को प्राप्त करेंगे। प्रकृति अपने बदलाव के गीत गाते हुए प्रतित होगी, बस उसे समझने की हमारी नजर तेज होनी चाहिए व हमें प्रकृति से प्रेम होना चाहिए।

Happy Holi 2020-2021
होली व प्रकृति के मायने —
हम तरक्की में बहुत आगे निकल गये हैं। हमने बहुत कुछ पीछे छोड़ दिया है… होली के त्यौहार में जलाने के लिए अब हर घर से लकड़ी नहीं निकलती। अब सीमेंट के पथरिलों रास्तों में मिट्टी की महक नहीं आती। अब हमनें वो खेत, वो खलियान तथा वह गलियां सब कुछ खो दी है। हम इको फ्रेंडली होली का विरोध करते हैं व तर्क देते हैं कि साल में एक दिन पानी के बचत का ज्ञान हम क्यों माने? या रंगों से क्यों न खेलें?

Happy Holi 2020-2021
लेकिन एक सवाल पर हमें मनन करना होगा कि क्या हमारे पास पहले जैसे सुरक्षित रंग बचे है? क्या पहले जैसा वातावरण व लोगों का स्नेह शेष है? कुछ सालों पहले होली में अनेक स्थानों पर छोटी-मोटी दुघटनाएं होती थीं, कईयों हाथ टूट जाते थें, कईयों के पैर टूट जाते थें, लेकिन चेहरे पर गुस्से के भाव नजर नहीं आता थें। आपस में खेलते हुए घटित घटना सहज होली की मजाक मान लेते थें…

Happy Holi 2020-2021
यह अब यह संभव है? कदापि नहीं। होली पर प्रयोग होने वाले केमिकल रंगों से होने वाले इंफेक्शन व त्वचा की बीमारियों से हमें ड़रना होगा। हमें जंगलों के कम होने से भी ड़रना होगा। अब स्थितियां बदल चुकी है, सोच बदल गई है, गांव के खेत-खलियान बदल गये हैं व कच्चे रास्तों पर अब सीमेंट उग आया है। अब सबकुछ बदल गया है, अब त्यौहार मनाने से पहले ही हमारे पास प्रशासन की चेतावनी आ जाती है। टीवी, अखबारों व पत्र-पत्रिकाओं में चेतावनी जारी कर दी जाती है।
अब लोगों की नजरों में वह सम्मान नहीं रहा… अब व्यक्ति की नजरे महिलाओं को अलग अंदाज में घूरती है… इसलिए सुरक्षित रहना व परिवार को सुरक्षित रखना भी हमारे जिम्मेदारी है। बीमारियों से बचना व दूसरों का बचाव करना भी हमारी जिम्मेदारी है। अब हमारे पास इको फ्रेंडली होली मनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा इसलिए इसे बुरा नहीं मानकर, इसके महत्व को समझना होगा व वक्त के साथ चलना होगा।
पानी की कमी सिर्फ एक मुद्दा नहीं है बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग को बराबर पानी उपलब्ध हो यह हमारी जिम्मेदारी भी है। प्रकृति के प्रति भी व समाज के प्रति भी हमारी जिम्मेदारी बनती है इसलिए इको फ्रेंडली होली मनावे।
यकीन माने प्रेम से बढ़कर कोई रंग नहीं, भाईचारे से बढ़कर कोई गुलाल नहीं, रिश्तों की महक से बढ़कर कोई महक नहीं। आप प्रकृति से प्रेम करेंगे तो प्रकृति हमसे प्रेम करेगी व सौ गुना हमें लौटाएगी। आइए इस होली कुछ ऐसा करें कि हम कह सकें कि होली है भाई होली है… होली की बहुत बहुत शुभकामनाओं के साथ।
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महाशिवरात्रि विशेष – जाने शिव के कुछ आध्यात्मिक जीवन रहस्य।

शिव के रहस्य को समझना अपने आपको समझना है —
भगवान शिव की वेशभूषा से लेकर उनकी पूजा विधि, उनके प्रतीक चिन्ह सब कुछ हमें किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं। शिव को समझना यानी जीवन को समझना है। शिव समझ में आ गए तो सब कुछ समझ में आ गया। इस आध्यात्मिक पोस्ट में हम शिव के ऐसे ही कुछ रहस्य को पढ़ने व समझने का प्रयास कर रहे हैं। यह पोस्ट बहुत ही प्रेरक पोस्ट है, आशा है कि पाठक वर्ग अपना मत व्यक्त करेंगे।

महाशिवरात्रि विशेष
शिव को क्यों चढ़ता है जल —
शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव स्वंम जल के प्रतीक है। भगवान शिव को जल चढ़ाने का महात्म्य समुन्द्र मंथन की कथा से जुड़ा है। भगवान शिव के विष पीने से उनका कंठ नीला पड़ गया था इसलिए वह नीलकंठ कहलाये। उनकी उष्णता को कम करने केलिए व उन्हें शितलता देने केलिए देवी देवताओं ने जलाभिषेक किया था, तब से उन्हें जल चढ़ाया जाता है।

महाशिवरात्रि विशेष
वैसे भगवान शिव की प्रतिकात्मक रूप से कुछ वस्तुएं है जो उन्हें प्रिय है जिसमे मुख्य रूप से रुद्राक्ष है। रुद्राक्ष को भगवान के आँसू के रूप में जाना जाता है यानी रुद्र का अक्ष। रुद्राक्ष के अतिरिक्त बिलपत्र, आंक या आंकड़ा, धतूरा, कर्पूर, चावल, भस्म, चंदन व भाँग आदि भगवान को बहुत प्रिय है। मान्यताओं के अनुसार यह समस्त वस्तुएं भगवान को चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती है।

महाशिवरात्रि विशेष
शिव के कुछ विशेष प्रतीक व उनका रहस्य –
वृषभ को भगवान शिव या भोलेनाथ का वाहन माना जाता है। वृषभ के चार पैरों को धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष माना है। यह शक्ति या पराक्रम का प्रतीक है। जटाएं भी शिव का प्रतीक मानी गई है जो हवा की प्रतीक है। गंगा भी शिव की जटाओं से ही प्रवाहित होती है। गंगा भी भगवान भी जटाओं से निकलती है। गंगा पवित्रता व शांति की प्रतीक मानी जाती है। गंगा को मोक्षदायिनी भी कहा गया है।

Mahahivratri Vishesh
चन्द्रमा मन को नियंत्रित करते है और मन भगवान भोले की जटाओं में वास करते है। यानी शिव ही सोम है, सोम शांति व शितलता का प्रतीक है। शिव की आराधना व पूजा हेतु सोमवार को उत्तम माना गया है। तीसरा नेत्र भी शिव का प्रतीक माना गया है। इस अग्नि से ही उन्होंने कामदेव को भस्म किया था। यहाँ अग्नि ज्ञान की प्रतीक है। शिव के तीन नेत्र को रज, सत्व व तम गुण से परिभाषित कर सकते है। भूत, भविष्य व वर्तमान सब कुछ शिव ही है।

महाशिवरात्रि विशेष
भगवान शिव के रहस्यमय प्रतीक —
सर्प भी शिव के गले मे स्थायी रूप से है। अर्थात क्रोध, विष या तम का प्रतीक सर्प शिव के गले की शोभा है यानी तम पर शिव का ही नियंत्रण है।
त्रिशूल व डमरू भी उनके प्रतीक ही है। जहाँ डमरू शिव के संगीत या ओमकार के प्रतीक है तो त्रिशूल इच्छा व ज्ञान का चिन्ह माना गया है। शिव ने अहंकार को भी अपने वश में किया हुआ है कदाचित इसलिए वह ऐसे वस्त्र पहनते है जो अहंकार से उपजे हो।

महाशिवरात्रि विशेष
अग्नि से शिव स्नान करते है इसलिए भस्म प्रिय है उन्हें। प्रलय के बाद सिर्फ भस्म रहती है, सब कुछ नाश होता है। शिव की सम्पूर्ण वेशभूषा व चिन्ह हमें संदेश देते हैं। शिवलिंग शिव का प्रतीक है। इसका भी वैज्ञानिक महत्व है। शिवलिंग का निर्माण सम्पूर्ण प्रकृति को परिभाषित करता है। शिवलिंग का अर्थ समझना यानी शिव को समझना होता है इसलिए शिव रुद्रस्वरूप है। शिव के रहस्य को समझना जीवन के रहस्य को समझना व जीना है।

महाशिवरात्रि विशेष
शिव कौन है? महाकाल व तारा भी शिव के अवतार है तो भैरव भी, धूमवान व बगलामुखी भी शिव के ही रूप है। शिव के विभिन्न अवतार माने गए है।
दरअसल शिव सम्पूर्ण है। शिव हमे माता पिता की सेवा करना सिखाते हैं, शिव परोपकार, दया जैसे गुण हमे सिखाते हैं। यह शिव ही है जो मन को वश करने की प्रेरणा देते हैं। शिव के रहस्य को समझना जीवन के रहस्य को समझना व जीना है।

महाशिवरात्रि विशेष
शिव की आराधना व पूजा हमें अवश्य करनी चाहिए। शिव का चरित्र जीवन को समझने में सहायक है।

महाशिवरात्रि 2020
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शिव जयन्ति – हिन्दू सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज की वह जानकारी जो आपको जरूर जाननी चाहिए

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19 फरवरी को पूरा देश शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर विशेष रूप से याद करता है। शिवाजी महाराज राष्ट्रीय प्रतीक, महानायक माने जाते है। उन्होंने हिंदुत्व की पैरवी की। शिवाजी महाराज कई कलाओं में माहिर थें। उन्होंने राजनीति व युद्ध की शिक्षा ली।
शिव जयन्ति –
हिन्दू सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज की वह जानकारी जो आपको जरूर जाननी चाहिए।

शिवाजी महाराज जयन्ति की शुभकामनाएं।
शिवाजी को एक साहित्यकार प्रेमी के रूप में भी जाना जाता है। उनके पुत्र शंभाजी को बाल साहित्यकार माना जाता है। शंभाजी ने तलवार के साथ कलम भी चलाई।

छत्रपति शिवाजी महाराज जयन्ति
शिवाजी के बड़े पुत्र शंभाजी थे। जिन्होंने 1680 से 1689 तक राज किया। वे शिवाजी के उत्तराधिकारी थें।
शिवाजी बचपन मे किले जितने का खेल बहुत खेलते थे। उन्होंने यही प्रयास अपने शासन में किया व कई किलों को जीता।

Shivaji Maharaj
शिवाजी का बचपन अपनी माता जीजा बाई के सानिध्य में बिता। उनकी माता धार्मिक व वीर महिला थी। उन्होंने अपने पुत्र को रामायण, महाभारत व देश की कहानियां संस्मरण करवाई। शिवाजी भी हर कला में निपुण हुए।
शिवाजी के पिता शाह जी व माता जीजा बाई थी। उनका जन्म शिवनेरी दुर्ग में हुआ जो पुणे के पास में है।

छत्रपति शिवाजी महाराज
शिवाजी ने गुलाम मानसिकता का हमेशा विरोध किया। उन्होंने स्वतंत्रता हेतु अपनी पहचान बनाई। शिवाजी महाराज राष्ट्रीयता के प्रतीक महानायक थे।

छत्रपति शिवाजी महाराज
शिवाजी महाराज मुस्लिम विरोधी नही थे। वे राष्ट्रीयता के नायक थे। उनकी सेना में कई मुस्लिम भी थे।
शिवाजी महाराज की मृत्यु बीमारी के बाद 1680 में हुई थी।

छत्रपति शिवाजी महाराज
शिवाजी को धर्मपरायण हिन्दू शासक के रूप में जाना जाता है। उन्हें स्वराज की शिक्षा अपने पिता से मिली।
शिवाजी महाराज एक अच्छे सेनानायक व कूटनीतिज्ञ भी थे। उन्होंने अनेक बार युद्ध की बजाय कूटनीति से काम लिया। वे छापामार युद्ध के भी जनक थें।

छत्रपति शिवाजी महाराज
शिवाजी हिन्दू संस्कृति को बढ़ावा देते थे लेकिन मुस्लिम विरोधी नही थे। उन्होंने मंदिरों के साथ साथ मस्जिदों केलिए भी अनुदान किया था। वे हिन्दू पंडितों व सबका सम्मान करते थे।

शिवाजी महाराज
शिवाजी ने कौटिल्य को आदर्श की तरह माना व उनकी भाँति रणनीति बनाते थे।
शिवाजी की राजमुद्रा संस्कृत में लिखी हुई थी।

शिवाजी महाराज जयन्ति विशेष
शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी को हुआ था। उनका काल 1630 से 1680 तक था।